इस अकल्पनीय स्वास्थ्य आपदा काल के दौरान देश के सीमावर्ती जिला किन्नौर में लगातार एक के बाद एक कोरोना के बढ़ते मामलों का कारण प्रदेश सरकार व सरकारी व्यवस्था द्वारा इसके संक्रमण को रोकने हेतु बनाई जा रही कमेटियों का सही ढंग से काम नहीं करना है |
क्योंकि किन्नौर जैसे दुर्गम जनजातीय जिला की प्रशासनिक व्यवस्था भी कही न कही कमज़ोर हैं |
प्रदेश सरकार द्वारा कोविड -19 को लेकर जो दावे किये जा रहे हैं उसकी पोल यहां खुलती नजर आ रही हैं |
यह कहना सरासर गलत होगा कि हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोविड 19 को लेकर बहुत अच्छा कार्य हिमाचल में किया जा रहा है, लेकिन कुछ डॉक्टर्स, हेल्थ वर्कर बिना सोये, बिना आराम किये निरंतर घंटो – घंटो कार्य भी कर रहे हैं उन्हें नजरअंदाज भी नहीं किया सकता |
लेकिन प्रदेश सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए यहां के लोग बताना चाहते हैं कि किन्नौर जैसे दुर्गम जनजातीय इलाकों में प्राथमिक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रशासनिक लापरवाही ही मुख्य वजह हैं |
इस बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था का शिकार स्वयं मैं भी हुआ हूँ दिनांक 27-12-20 को मेरा जिला किन्नौर के उपतहसील टापरी के मीरू गांव में रेपिड टेस्ट हुआ जिसमें मुझे कोरोना पॉजिटिव बताया गया |
यह समय ही बतायेगा की कोरोना को लेकर किये जा रहे रेपिड टेस्ट कितने विश्वसनीय है |
लेकिन हम पांच लोगों की आई पॉजिटिव रिपोर्ट के आधार पर मैने भी प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य विभाग के दिशा निर्देशों का पालन करना ही उचित समझा और स्वयं को 17 दिन के लिए हॉम क्वारंटीन कर दिया |
डाईग्नोस के 6 दिन तक गांव के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में कार्यरत डाक्टर ने हम लोगों की स्वास्थ्य जानकारी नहीं ली और न ही हमें प्रदेश सरकार द्वारा जो दावे किये जा रहे है उन कीट दवाई को हम लोगों तक पहुँचाया |
डाईग्नोस के छह दिन बाद हमने मुख्य चिकित्सा अधिकारी जिला किन्नौर को दूरभाष पर सम्पर्क साध कर इस अव्यवस्था बारे अवगत कराया तो हमें डाक्टर कवि राज नेगी द्वारा दवाई की कीट जिला मुख्यालय रिकांगपिओं से हमारे गांव जो 35 किलो मीटर दूर पड़ता है भेजी गई |
यह तो शुक्र है कि आजकल किन्नौर में बर्फबारी कम है जिस कारण सभी गांव वाहन योग्य सम्पर्क मार्ग से जुड़े हुए हैं |
लेकिन यह हैरानी की बात है कि प्रशासन ने हमारे घरों, गलियों, मुहल्ला , रास्तों, चौराहे सहित जहां हम 17 दिन हॉम क्वारंटीन थे वहां सैनिटाइज नहीं किया |
जबकि हमारे ही गांव मीरू में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सहित पूरा स्टाफ मौजूद है लेकिन एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एंटीबायोटिक, विटामिनस की दवाई न होना हैरानी पैदा करता है |
मुख्यमंत्री जी भी भली भाँति जानते हैं कि किन्नौर के सभी गांव ग्रामीण आबादी में आते हैं यहां स्वास्थ्य को लेकर सरकारों की लापरवाही सदियों से साफ़ दिखती आई है और विडंबना है कि प्रदेश सरकार में भी आपके कार्यकाल दौरान भी स्वास्थ्य विभाग ऐसा ही प्रदर्शन जनजातीय इलाकों में कर रही है |