2017 के विधानसभा चुनाव में टिकट कटने के बाद जयराम सरकार के वन विकास निगम में कुर्सी मिलते ही सूरत नेगी की सियासत ने किनौर के पूर्व विधायक तेजवंत नेगी काे भी चाैंका दिया है। हैरानी की बात है कि पूरे हिमाचल में सबसे कम मताें से चुनाव हारने वाले एवं किन्नौर के पूर्व विधायक तेजवंत नेगी काे किसी भी बाेर्ड या निगम में जगह नहीं मिल पाई। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्व विधायक तेजवंत नेगी कांग्रेस के जगत सिंह नेगी से मात्र 120 मताें से हारे थे।
आज जयराम सरकार ने सूरत नेगी काे राजनीतिक लाभ पहुंचाने में काेई गुरेज नहीं किया। सूरत की सक्रीयता से संभवत किन्नौर भाजपा में पिछले दाे वर्षाें से खलबली भी मच रही है। मसलन 2022 के विधानसभा चुनाव का है। उससे पहले ही वन विकास निगम के उपाध्यक्ष सूरत नेगी ने मिशन 2022 के लिए पांव पसारना शुरु कर दिया । हाल ही में विधानसभा मानसून सत्र के दाैरान कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी द्वारा पूछे गए एक लिखित सवाल के जवाब में वन मंत्री ने सूरत नेगी के किन्नौर दाैरे की पूरी जानकारी दी है। जानकारी के मुताबिक सूरत नेगी ने अक्तूबर 2018 से लेकर 31 जुलाई 2020 तक किन्नौर में 278 दिनों का दाैरा किया। दाे वर्षाें के अंतराल में सूरत नेगी ने तेजवंत नेगी के गृह क्षेत्र किल्बा में मात्र तीन दिनों का दाैरा किया।
भाजपा की गुटबाजी से कांग्रेस काे मिलेगी संजीवनी
किन्नौर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की गुटबाजी से कांग्रेस काे संजीवनी मिल सकती है। हालाँकि 2022 का विधानसभा चुनाव अभी दूर है, लेकिन भाजपा की अंदरूनी राजनीति का लाभ कांग्रेस काे मिल सकता है। कारण यह है कि पूर्व विधायक तेजवंत नेगी हर राेज जनता के बीच हैं, जबकि सूरत नेगी सरकारी कामकाज में दिखाई दे रहे हैं। यानी कुल मिलकर सूरत नेगी और तेजवंत नेगी दाेनाें ही अगले चुनाव में टिकट की दावेदारी ठाेकेंगे।