कहा, हमारी सरकार ट्रक ऑपरेटरों के साथ खड़ी है
शिमला: सीमेंट विवाद मसले पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हमारी सरकार इसे सुलझाने के लिए विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार ट्रक ऑपरेटरों के साथ खड़ी है। सचिवालय में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि बीते रोज़ सीमेंट विवाद पर उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान से भी फीडबैक लिया। ग़ौरतलब है कि शुक्रवार देर सायं जालंधर से लौटने के बाद शाम के समय मुख्यमंत्री राज्य सचिवालय पहुंचे। जहां उन्होंने उद्योग मंत्री से इस बारे में बातचीत की। बताया जा रहा है कि उद्योग मंत्री ने सीएम को मालभाड़े से संबंधित हिमकॉन की रिपोर्ट के बारे में बताया। उद्योग मंत्री ने विवाद के निपटारे को लेकर विभिन्न विकल्पों पर भी मुख्यमंत्री के साथ चर्चा की।
इससे पहले पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि सरकार इस विवाद के निपटारे के लिए हर संभव प्रयास कर रही है।
हर्षवर्धन चौहान ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप के ट्रक ऑपरेटरों की हड़ताल में शामिल होने पर कहा कि विपक्ष को इसे राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया चाहिए। उन्होंने कहा कि विपक्ष के नेताओं से भी इस मसले को लेकर बात की गई है। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस व भाजपा की बात नहीं है।यह हिमाचल के लोगों के हितों से जुड़ा मुद्दा है।
सीमेंट विवाद को सुलझाने कि लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 16 दिसंबर को ही मामले को सुलझाने के लिए प्रशासन को आदेश दे दिए थे। अडानी ग्रुप इस विवाद के लिए ट्रांसर्पोटर्स यूनियनों को ही जिम्मेदार ठहरा रहा है। इस विवाद से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तौर पर करीब 35 हजार लोगों की रोजी-रोटी पर संकट बना हुआ है। विवाद जितना लंबा चलेगा उससे लोगों की मुश्किलें भी बढ़ रही हैं।
क्या है सीमेंट विवाद?
कंपनी ने सीमेंट, क्लिंकर व कच्चे माल की ढुलाई में लगी ट्रक ऑपरेटर्स सोसाइटियों से रेट कम करने को कहा था। कंपनी ने पत्र के माध्यम से कहा कि वे मौजूदा रेट पर माल ढुलाई करने का तैयार नहीं है क्योंकि इसके कारण सीमेंट की उत्पादन लागत बढ़ रही है। इससे कंपनी को नुकसान उठाना पड़ रहा है।
कंपनी का कहना है कि सरकार ने 18 अक्तूबर 2005 को मालभाड़ा 6 रुपए प्रति टन प्रति किलोमीटर निर्धारित किया था। इस लिए सोसायटियों को इस रेट पर माल ढुलाई करनी होगी। ट्रक सोसायटियों का कहना है कि वर्ष 2019 से मालभाड़ा बढ़ना देय है। अब सरकार ने हिमकॉन कंपनी से रेट लिए हैं जिसे अभी सार्वजनिक नहीं किया गया है।