तीन चरणाें में हाेने वाली वाेटिंग में प्रदेश के 53 लाख 33 हजार वाेटर्स करेंगे प्रत्याशियाें के भाग्य का फैसला
23 जनवरी 2021 काे पूरी हाेगी चुनावी प्रक्रिया
मिनी संसद यानी पंचायतीराज चुनाव के लिए वीरवार से आगामी तीन दिनों तक नामांकन भरे जाएंगे। राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा तय चुनावी शेडयूल के मुताबिक 31 दिसंबर, पहली और दूसरी जनवरी काे सुबह 11 से दाेपहर 3 बजे तक नामांकन भरे जाएंगे। राज्य चुनाव आयोग के मुताबिक 4 जनवरी काे नामांकन पत्राें की छंटनी हाेगी और 6 जनवरी काे सुबह 10 से दाेपहर 3 बजे तक नाम वापस ले सकेंगे। उसी दिन प्रत्याशियाें की अंतिम सूचि भी प्रकाशित की जाएगी।
राज्य के कुछ पंचायताें में निर्विरोध प्रतिनिधियाें का चयन भी चुका है, लेकिन प्रक्रिया 23 जनवरी काे ही पूरी हाेगी। तीन चरणाें में हाेने वाली वाेटिंग में प्रदेश के 53 लाख 33 हजार मतदाता प्रत्याशियाें का चयन करेंगे। प्रदेश की 3615 पंचायताें काे प्रधान, उप प्रधान और 21 हजार 390 वार्ड मेंबर्स मिलेंगे । जिला परिषद सदस्य 249 और बीडीसी में 1792 सदस्याें के लिए चुनाव हाेना है।
गाैरतलब है कि चुनाव पार्टी चिन्ह पर नहीं हाेते हैं, मगर राज्य में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी ने अंदरखाते संगठनात्मक नुमाइंदाें की जीत सुनिश्चित करने के लिए रणनीति तैयार कर दी है। राज्य चुनाव आयोग से अधिसूचना जारी हाेते ही कांग्रेस और भाजपा से संबंध रखने वाले लाेकल नेता वाेट बैंक पक्का करने में जुट गए हैं। यही नहीं, बल्कि काेराेना महामारी की परवाह किए बिना दाेनाें राजनीतिक दलाें के लाेग दावेदारी के साथ गुपचुप तरीके से बैठकें कर रहे हैं। पूरा विश्व काेराेना महामारी से लड़ रहा है, मगर सत्तासीन पार्टी यानी भाजपा नेताओं काे सिर्फ पंचायत चुनाव की चिंता सता रही है।
389 नई पंचायतें लिखेगी विकास की नई गाथा
राज्य में इस बार 389 नई पंचायतें विकास की नई गाथा लिखेगी । खासकर जनजातीय जिला किन्नौर में भी सत्तापक्ष और विपक्ष ने वार्ड स्तर पर राजनीति शुरु कर दी। इस बार के चुनाव में जिला किन्नौर की आठ नई पंचायतें विकास की नई गाथा लिखेगी। पिछली पंचायत से अगल हाेकर पंचायत का विकास करने के लिए ये आठ चायतें तैयार हाे गई हैं।
राठाैर और कश्यप के नेतृत्व में पहला चुनाव
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठाैर और भाजपा अध्यक्ष सुरेश कश्यप के नेतृत्व में पहला चुनाव हाे रहा है। दाेनाें के लिए पंचायतीराज का चुनाव साख का सवाल भी बन चुका है। खासकर सत्तासीन पार्टी यानी भाजपा प्रतिनिधियाें की जीत सुनिश्चित करवाने के लिए हर संभव जाेर लगा रही है। दूसरी तरफ विपक्ष यानी कांग्रेस भी काेई कसर नहीं छाेड़ना चाहती।