शिमला: प्रदेश की सुक्खू सरकार एफ़आरए मामले में सुप्रीम कोर्ट से छूट के लिए पैरवी करेगी। ऐसा इसलिए ताकि प्रदेश में इस एक्ट को पूरी तरह से एक साथ लागू किया जा सके और लोगों को इसका लाभ मिल सके। सरकार का मानना है कि दूसरे राज्यों की तरह हिमाचल प्रदेश के एफआरए (फॉरेस्ट राइट एक्ट) मामलों को सुप्रीम कोर्ट से बाहर रहकर अनुमति मिलनी चाहिए।
सरकार इस मामले के लिए पैरवी करेगी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से अनुमति मिलने में लंबा समय लग जाता है। इस कारण विकास कार्यों में देरी होती है। राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि कानून की जानकारी देने के लिए अधिकारियों, एफआरए कमेटियों और पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधियों को प्रशिक्षित किया जाएगा।
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा एफआरए के तहत वन भूमि से लकड़ी एकत्र करने, औषधीय पौधों के एकत्रीकरण, पशुओं को चराने के साथ साथ जंगलों में सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक अधिकारों सहित 13 मदों में लोगों को हक दिलवाने के मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट में पैरवी करेगे।
उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ऐसे मामलों की निगरानी करता है। सरकार अदालत में इस मामले की पैरवी कर लोगों को राहत दिलाने का काम करेगी। प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद राजस्व एवं जनजातीय विकास मंत्री जगत सिंह नेगी का कहना है कि एफआरए के तहत सामूहिक और व्यक्तिगत दावों के निपटारे के लिए लोगों को जागरूक किया जाएगा।
“विपक्ष में रहते हुए मंत्री जगत सिंह नेगी इस मुद्दे को विधान सभा में बखूबी उठाने रहें हैं। अब मंत्री बनने के बाद जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार एफआरए को प्रदेश में पूरी तरह से लागू करेगी। और कहा एफआरए मामले में सरकार सुप्रीम कोर्ट से छूट के लिए पैरवी करेगी।”