शिमला: जिला शिमला में एकीकृत जलागम प्रबन्धन कार्यक्रम के तहत भूसंरक्षण, भूमि सुधार, पौधा रोपण, जलसंग्रहण टैंको जैसी ग्रामीण विकास की योजनाओं की समीक्षा करते हुए उपायुक्त शिमला दिनेश मल्होत्रा ने बताया कि जिला में जलागम प्रबन्धन के कार्यक्रम पर 175 करोड़ रू. खर्च किए जा रहे हैं।

उपायुक्त ने बताया कि वाटर शैड का यह कार्यक्रम मशोबरा, बसन्तपुर, ठियोग रामपुर तथा नारकण्डा विकास खण्ड की 109 पंचायतों में चलाया जा रहा है। इस कार्यक्रम में इन 109 पंचायतों की 1 लाख 16 हजार 810 है. भूमि को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार सम्र्वद्र्धित किया जाएगा। स्थानीय लोगों की आवश्यकताओं के अनुसार पूरे क्षेत्र का अध्ययन करने के पश्चात योजनाओं का निर्माण किया जा रहा है ताकि स्थानीय संसाधनों का दोहन भी हो सके और भूमि की उपजाऊ शकित को बढ़ाया जा सके।

उपायुक्त ने बताया कि इन पंचायतों में आवश्यकता अनुसार सिंचार्इ की सुविधा भी उपलब्ध करवायी जा रही है ताकि कृषि से किसान की आमदनी को बढ़ाया जा सके । किसानों को उन्नत किसम के बीज व पौधे भी उपलब्ध करवाएं जा रहे हैं। विकास खण्ड ठियोग में 512 किसानों को मटर का 61.44 किवन्टल बीज व 15050 उन्नत प्रजाति के सेब के पौधे 602 बागवानों को 10 प्रतिशत व 20 प्रतिशत के अंशदान पर श्रेणी अनुसार उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। परियोजना के अन्तर्गत इस वितितय वर्ष में विकास खण्ड रामपुर में सुधरे हुए कृषि औजार 598 किसानों को और विकास खण्ड बसन्तपुर में 525 किसानों को वितरित किए जा चुके है।

इस परियोजना के अन्र्तगत किसानों और बागवानों को समय-समय पर कृषि एवं बागवानी उन्नत तकनीक प्राप्त करने के लिए विश्वविधालयों में प्रशिक्षण भी प्रदान किया जा रहा है।