प्रसिद्ध धार्मिक स्थल तत्तापानी में आज मकर संक्रांति के पावन अवसर पर हजारो लोगों ने श्रदा से पवित्र स्नान कियाl प्रदेश क्या देश के विभिन स्थानों से लोगों ने इस पवित्र स्नान में हिसा लिया और कईओ ने ग्रहों की शांति के लिए तुला दान भी करवाया।
उल्लेख्निया है की इस बार का पवित्र स्नान धार्मिक स्थल तत्तापानी में यहां आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आखिरी होगा, क्योंकि जिस स्थान पर लोग वर्षों से गरम पानी के चश्मों में स्नान करते आए हैं, वह स्थान कोल बांध परियोजना में हमेशा के लिए समा जाएगा। क्योंकि सतलुज नदी पर 800 मेगावाट क्षमता की कोल बांध जल विद्युत परियोजना में इसी साल अप्रैल से पानी भरना शुरू हो जाएगा। इससे तत्तापानी में वर्षों पुराने पवित्र स्नान की जगह भी जलमग्न हो जाएगी और सिर्फ इतिहास के पनो में ही सिमट के रह जायेगीl
हालांकि एनटीपीसी प्रबंधन ने धार्मिक आस्था को देखते हुए गरम पानी के स्रोतों को दूसरी जगह स्थानातरित करने का प्रावधान किया है जिसके लिए 10.12 लाख रुपये का बजट भी बनाया गया है। परन्तु क्या इस तरह के उपाय से इस धार्मिक स्थल की महत्वता बरकरार रहेगी? इसपर संशय ही रहेगाl
पर्यावरणविद और कई स्थानीय लोगो ने इस धार्मिक महत्व के पवित्र स्नान स्थल को बचाने के लिए प्रयास किया और धार्मिक महत्व के चलते बांध की ऊंचाई कम रखने के लिए भी एनटीपीसी प्रबंधन और सरकार को सुझाव दिए थेl परन्तु सरकार ने इस तरह के किसी भी सुझाव को स्वीकार नहीं किया और तत्तापानी में स्थित धार्मिक धरोवर को भी बिलासपुर जैसे परिणाम पर छोड़ दिया, जंहा पर विकास के आड़े आए हजारो वर्षो पुराने धरोवर, जोकि इतिहास के एक मतवपूर्ण युग और उसकी वैभवता के जीता जगता उदाहरण थे, जीर्णोद्वार हो गयेl अब शायद ही ऐसा धार्मिक जमावड़ा कभी तत्तापानी में होगाl वो धार्मिक आस्था के प्रतिक स्नान स्थल बस किताबों और कहानिओं में ही मिला करेंगेl