(दीपक सुन्द्रियाल) भारत … एक राष्ट ..जहाँ परिधान मात्र से आपके धर्म का पता चल जाता है , आस्था जहाँ अपनी पराकाष्ठा छूती है विश्व के सभी महान गुरुओ ने जिसे अपना धर्म गुरु स्वीकारा , वह हिंदू राष्ट आज पशोपेश में है | धर्म में विश्व का मार्गदर्शन करने वाला भारतवर्ष आज अपने पाखंडी धर्म गुरुओ से आहात है | हिंदूस्थान अपने ह्रदय में सभी धर्मो के लेकर चला था और पीढ़ी दर पीढ़ी इस परंपरा का निर्वाह भी हम करते आये है | सभी धर्मो को उचित सम्मान व स्थान देने में हमने कोई कसर नहीं छोड़ी परन्तु विश्व का सबसे प्राचीन व व्यापक हिंदू धर्म अपने तथाकथित “प्रभु के एजेंटों “ के हाथो बिकता चला गया | कल तक जो सडक छाप तांत्रिक, गावं देहात में धर्म के नाम पर ठगी ठोरी करते थे आज वो शहर का रुख कर गए है | बाबाओ का एकाएक चर्चोओ में आना कोई सयोग नहीं होता अपितु पूरी तरह से इसे प्लान किया जाता है |

जब गावं …नुकड़ के ओझा ..सडक छाप तांत्रिक, एक तेज-तरार्र इवेंट मेनेजमेंट कंपनी के सम्पर्क में आते है तों इंटर नेशनल “बाबा” बन जाते है | समागम …साधन केन्द्र …आश्रम सब निति के तहत बनाये जाते है ताकि हर शहर में कारोबार किया जा सके | ये सडक छाप ढोंगी बाबा जब इस नए रूप में हमारे सामने आते है तों हम उन्हें सर आँखों पे बिठा लेते है, बाबा जी का भक्त होना स्टेट्स सिम्बल बन जाता है , हम एकाएक चमत्कारों पर विश्वास करने लगते है .. जिसे हम अंधविश्वस कह कर शिक्षित होने का दम भरते थे सब हवा हो जाता है |

अपनी सोची समझी साजिश के तहत सबसे पहले आपको आपके कुल देवी देवताओ से, अपने ईष्ट से दूर किया जाता है आपको बाबा जी पर आस्था रख कर आपके घर व कार्य क्षेत्र, सभी जगह बाबा जी के पोस्टर रखने को कहा जाता है जिससे आपके घर व् ऑफिस में पैसा बरसेगा …आपकी प्रमोशन होगी ,आपका तों पता नहीं पर इस से बाबा जी की प्रमोश जरुर हो जाती है | हर जगह बाबा जी की तस्वीर ..उन्हें आम जनता में पापुलर कर देती है | बस बाबा जी अब तेयार है आपको लूटने के लिए |

आज हर वर्ग का अपना बाबा है .. अप्पर क्लास बाबा …मिडल क्लास बाबा….इकोनोमिक क्लास बाबा | अपने-अपने बजट के माफिक बाज़ार में सभी तरह में बाबा उपलब्ध है | कुछ बाबा केवल हाई क्लास बिस्ज्निस सोसाइटी के बाबा है जो मेट्रो सिटी में ही समेल्लन करते है, उनकी समेल्लन की टिकट आम आदमी की जेब से बाहर है | कुछ बाबा केवल डाक्टर व इंजीनियर भक्तो में ही उपदेश देते है ..उनके संत्सग भी आधुनिक होते है, डी .जे पार्टी व रॉक सत्संग में विदेशी धुनों से प्रभु का मिलन कराया जाता है | कुछ एक बाबा केवल महिलाओ को ही मिलने का समय देते है ..पुरष वर्ग में उनको दिलचस्पी कम ही है |

हिंदू धर्म में कर्म के आधार पर व्यक्ति की जाति निर्धारण की गई है परन्तु यदि हम अपने इन तथाकथित “प्रभु के एजेंटों “ के कर्म देखे तों यक़ीनन चारो वर्गों में आप इन्हे कहीं भी फिट नहीं पायेगे | ब्राह्मण ..क्षत्रिय …वैश्य व शुद्र …चारो वर्गों के न कर्म इनसे मेल खाते है न गुण | .

न तों ये ब्राह्मण है कयोंकि ब्रह्मज्ञान से.. सात्विकता से.. व सदाचार से इनका दूर दूर तक कोई नाता दिखईए नहीं देता | न ही क्षत्रिय है .. कयोंकि न तों ये अन्याय के खिलाफ आवाज उठाते दिखईए देते है न ही विकट परिस्थिति का सामना करने के लिए सीना ताने आगे आते है ..हाँ कभी कभी कभार महिलाओ की भांति भागने में देर नहीं लगते | न ही वैश्य है .. कयोंकि वैश्य तों क्रय-विक्रय के सिधान्तो के अनुरूप छाती टोक कर व्यवसाय करते है परन्तु ये तों मुफ्त खोर है ..| न ही ये शुद्र है .. कयोंकि शुद्र तों सफाई व्यवस्था को संचालित करते है विश्व भर में इतना पुणय किसी और कार्य में नहीं परन्तु ये तों समाज में गंदगी ही फेला रहे है|

अब इनके न गुण और न ही कर्म किसी भी उलेखित वर्ण में आते है फिर ये श्री श्री …१०८ ..बाबा जी को किस केटेगिरी में रखा जाये …जो भी हो इन बाबाओ का तलिस्म बढता जा रहा है , कभी अनपढ़ गाव वालो में फेला अंधविश्वस नए नवेले रूप में शिक्षित शहर वालो को भी अपने वश में कर गया है |

जितने चैनल है सब में उनके चमत्कारों का बखान होता है और हम शिक्षित अनपढ़ उसी प्रकार इनके चमत्कारों को सच मान लेते है जिसे एक मासूम बच्चा फिल्म के हीरो को सुपर हीरो मान लेता है | मिडिया ने इन बाबाओ को भगवान से भी ऊपर का दर्जा दे डाला और बाबा जी ने भी उसका भरपूर फायदा उठाया | अपने व्याख्यानों में मोह-माया का त्याग करने वाली बड़ी-बड़ी बाते करके तालियाँ बटोरने वाले खुद अति-अधिनिक लग्सिरी गाडियों में घूमते है, विदेशी ब्रांडिड कपडे पहनते है ,पञ्च सितारा होटल से निचे देखते तक नहीं| अब जो स्यम माया के जाल में फसे हो आपको कौन से सदमार्ग पर ले जायेंगे ? ..प्रभु से सीधा संपर्क कराने के नाम पर यौन शोषण को साधना की संज्ञा देने वाले कुंठित बाबओ की लिस्ट लंबी है समाधी को सम्भोग का स्थान बनाने वाले इन बाबाओ का अपना सेक्स रॉकेट चलता है |

कुछ अन्धविश्वास के चलते ,कुछ लोक लज्जा के डर से , कुछ आशीर्वाद के छलावे में, चुप चाप इस शोषण की स्वीकार करते जा रहे है | महिलाओ के बाद इन कुंठित बाबओ की कुदृष्टि छोटी बच्चियों पर है | आये दिन समाचार पत्रों के माध्यम से ऐसी खबरे निकल कर सामने आती है पर ये खबरे आज तक किसी आंदोलन का रूप इख्तियार नहीं कर पाई कयुनकि इस देश में आम आदमी द्वारा किया गया कुकर्तीय तों अक्षम्य है, सारा देश उसको सजा दिलाने को एक जुट सडको पर उतर आता है परन्तु इन ढोंगी बाबाओ के खिलाफ लामबंद होने में धर्म व आस्था आड़े आ जाती है, जब ऐसे कुंठित ,बलात्कारी बाबाओ के पक्ष में धामिक संघटन खड़े दिखते है धर्म का अर्थ कितना बोना दिखाई देता है | महिला आयोग ,ह्यूमन राइट व स्वसेवी संस्थाओ की चुप्पी हमारी दो-मुह्ही ववस्था का पर्दाफाश कर रही है | बाबाओ को बनाने वाले भी हम है और उनको भगवान का दर्जा दे सर आँखों पर बेठाने वाले भी हम है |

हमारा धर्म इतना भी खोखला नहीं की हमें ईश्वर प्राप्ति के लिए ऐसे पाखण्डियो का दरवाजा खटखटाना पड़े| हम अपने आराध्य की तरह भोले है जो सवयं ही भस्मासुर पैदा करते है और फिर वही भस्मासुर हमें ही भसम करने दोड़ता है | इन कलयुगी बाबाओ का खेल भी इसी प्रकार चल रहा है आज इनकी कुदृष्टि आपके धन के बाद आपके परिवार पर है | आँखे खोले और अंधविस्वास के तल्लिस्म को तोड़े ….ऐसे श्री श्री …१०८ पाखंडियों का परित्याग करे ..स्टेट्स की अंधी दोड से बाहर निकल कर सत्य का अवलोकन करे …अपने धर्म को पहचाने यदि आराधना करनी है अपने कुल देवी- देवताओ की करे प्रभु से मिलाप के लिए किसी एजेंट की आवशयकता नहीं … अब आप को सोचना है ..अपने प्रभु को पाना है या… प्रभु के एजेंट को!