जिला की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। जिला के 80 प्रतिशत लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं तथा 60 प्रतिशत लोग सीधे तौर पर कृषि पर निर्भर हैं । राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के माध्यम से जिला में सब्जी उत्पादन को बढावा देने और जैविक खेती के विकास के लिए एक करोड 90 लाख रूपये की राशि खर्च की जा रही है। जैविक खेती के लिए 23.75 लाख रूपये जबकि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 1 करोड 46 लाख रूपये की राशि सब्जी उत्पादन के लिए खर्च की जा रही है।
मुख्यमंत्री आदर्श कृषि गांव योजना के अंर्तगत कृषि को बढावा देने के लिए जिला के प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक पंचायत को आदर्श बनाने के लिए 10 लाख रूपये की राशि देने का प्रावधान है जिसके तहत जिला शिमला की 7 पंचायतों को लाभानिवत किया गया है । रबी मौसम खाधान्न दलहन, तिलहन व सब्जी के बीजों पर 50 प्रतिशत उपदान दिया जा रहा है। कीटनाशक दवार्इयों व पौध संरक्षण उपकरणों पर भी किसानों को 50 प्रतिशत उपदान देने का प्रावधान है। एकीकृत तिलहन, दलहन व मक्की परियोजना के तहत जिला में 5 लाख रूपये की राशि खर्च कर स्रोत से किसान के खेत तक पानी लाने के लिए अनुदान, पौध संरक्षण संयंत्र उपलब्ध करवाने व किसानों को समय – समय पर कृषि के प्रति जागरूक करने के उददेश्य से कृषक प्रशिक्षण शिविर, पौध सघन प्रबन्धन व खंड स्तरीय प्रर्दशनी आदि का भी आयोजन किया गया है।
पिछडा क्षेत्र उपयोजना के तहत 6 लाख रूपये, अनुसूचित जनजाति उप योजना के तहत 4 लाख, जबकि अनुसूचित जाति उप योजना के तहत 17 लाख की राशि खर्च कर जिला में आलू एवं सब्जी व जैविक खेती का विकास किया गया। वहीं कृषकों को पौध संरक्षण, कृषि मशीनरी एवं उपकरण उपलब्ध करवाये गये हैं । खाद व उन्नत किस्म के बीजों के वितरण के साथ-साथ कृषक अध्ययन, भ्रमण व प्रशिक्षण शिविरों का भी आयोजन किया गया।