पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष प्रो0 प्रेम कुमार धूमल ने आज प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा की गई प्रैस वार्ता पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जैसे यूपीए सरकार के 10 वर्ष का कार्यकाल प्रभावहीन व निराशाजनक रहा वैसे ही उनके द्वारा की गई अंतिम प्रैस वार्ता निराशाजनक व प्रभावहीन रही।
प्रो0 धूमल ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रायपुर में दिए गए अपने भाषण से विपरीत बातें इस प्रैस वार्ता में कही। उन्होनें रायपुर में कहा था कि संवैधानिक पद पर रह रहे व्यकित और भविष्य में संवैधानिक पद पर आने वाले व्यकित के शब्दो की भाषा गरिमापूर्ण होनी चाहिए। परन्तु आज के संवाददाता सम्मेलन में भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी मोदी पर टिप्पणी करते हुए वह अपने पद और भाषा की मर्यादा को भूल गए और दंगो के बारे में कहते हुए भी वह अहमदाबाद का जिक्र कर रहे थे जबकि उस समय अहमदाबाद में इस तरह के कोई दंगे नहीं हुए थे।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा नरेन्द्र मोदी पर टिप्पणी करना निराशा का परिचायक है। 1984 में जब देश में सिक्खों का नर संहार हुआ था उस समय देश के गृह मंत्री पी0 वी0 नरसिम्हा राव थे और उनके प्रधानमंत्री बनने पर मनमोहन सिंह उनके वित्त मंत्री थे। ऐसे में मनमोहन सिंह जी को किसी पर टिप्पणी करने के बजाए अपने आप में झाँखकर देखना चाहिए था।
धूमल ने कहा कि यूपीए का 10 वर्षो का कार्यकाल राष्ट्र के इतिहास में सबसे निराशाजनक कायर् काल रहा और देश की जनता के लिए किसी बूरे सपने से कम नहीं था।मनमोहन सिंह इन 10 वर्षों में देश का नेतृत्व करने में पूरी तरह से असफल साबित हुए और वह 1984 में हुए दंगो के दोषियों को सजा दिलाने में नाकाम रहे और तो और प्रभावित परिवार आज तक सहायता के लिए दर-2 की ठोकरें खा रहे है। उनके पुर्नवास के लिए 10 वर्षो में मनमोहन सिंह कुछ नहीं कर पाए। ऐसे में दूसरे नेताओं पर उनकी टिप्पणी करना केवल उनकी हताशा का परिचायक है। इन 10 वर्षो में राष्ट्र प्रगति के मामले मे संसार के अन्य देशों पिछड गया है, उसके लिए केवल मनमोहन सिंह जी का कमजोर नेतृत्व, उनकी गलत आथिर् क नीतिया, अविवेकी निर्णय, कैबिनेट मंत्रियों व कांग्रेस नेताओं के भरष्टाचार पर रोक न लगा पाना है। उनका यह कार्यकाल देश के इतिहास में सबसे बड़े घोटालों, भरष्टाचार व महंगाई के लिए जाना जाएगा।