भारतीय संसद पर वर्ष 2001 में हुए हमले के लिए दोषी पाए गए अफजल गुरु को आज सुबह (शनिवार 09 फरवरी 2013) को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई। बाद में अफजल गुरु के शव को जेल के नियमों के तहत जेल में ही दफन कर दिया गया।
भारतीय संसद पर हमले में दोषी पाए जाने के बाद अफजल गुरु को दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसएआर गिलानी और शौकत हुसैन के साथ मौत की सजा सुनाई गई थी। गिलानी को हालांकि हाईकोर्ट ने 2003 में बरी कर दिया था, जबकि अफजल गुरु और शौकत हुसैन की सजा को बरकरार रखा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने अफजल की सजा को बरकरार रखा था, जबकि हुसैन के मामले में 10 वर्ष जेल की सजा सुनाई गई।
अफजल गुरु को फांसी पर चढाए जाने के बाद राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। पुलिस ने सभी थानों को हाई अलर्ट पर रखा है। पुलिस ने कहा कि दिल्ली के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। सुरक्षा व्यवस्था सख्त करने के कदम के तहत भीड़भाड वाले इलाकों, रेलवे स्टेशनों और बस टर्मिनलों में गश्त बढ़ा दी गई है।
अफजल गुरु को फांसी पर लटकाए जाने का राजनीतिक दलों ने स्वागत किया है, वहीं बीजेपी ने मृत्युदंड में देरी पर सवाल उठाया है। कांग्रेस और बीजेपी दोनों दलों ने कहा कि जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी अफजल गुरु को फांसी दिए जाने से आतंकी गुटों को यह संदेश जाएगा कि भारत आतंक बर्दाश्त नहीं करेगा।
कांग्रेस प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा की कानून ने अपना काम किया है। बल्कि विरोधी दल फांसी में देरी को लेकर सवाल उठा रहे अहि और आरोप लगाया है की यह राजनीती से प्ररित हैl अफजल गुरु को फांसी में देरी पर सवाल उठाते हुए बीजेपी ने कहा कि यह पहले ही हो जाना चाहिए था, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने 2005 में ही मृत्युदंड पर मुहर लगा दिया था।
गौरतलब है कि 13 दिसंबर, 2001 को भारी हथियारों से लैस पांच आतंकवादी संसद परिसर में घुस गए थे और अंधाधुंध गोलीबारी कर नौ लोगों को मार डाला था। मरने वालों में दिल्ली पुलिस के पांच कर्मी, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक महिला कर्मचारी, संसद के वाच एंड वार्ड स्टाफ के दो कर्मी और एक माली शामिल था। हमले में घायल एक पत्रकार की बाद में मौत हो गई थी। पुलिस ने पांचों आतंकवादियों को भी मार गिराया था और अफजल को हमले के कुछ घंटे के भीतर ही दिल्ली में ही गिरफ्तार कर लिया गया था।