शिमला: पर्यावरण विज्ञान और प्रौधोगिकी विभाग द्वारा आज बायो मैडिकल कचरा प्रबन्धन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रधान सचिव तरूण श्रीधर ने कहा कि राज्य की पारिसिथकी सवेंदनशील है इसलिए कूड़ा निबटान प्रबन्धन का कार्य भी वैज्ञानिक ढंग से किया जाना आवश्यक है ताकि पर्यावरण स्वच्छ रह सके । कूड़ा निबटान के लिए आवश्यक है कि जलस्त्रोत और भूमि में किसी भी तरह की विषाख्त तत्व शामिल न हो पाए।
उन्होंने कहा कि भूमि को प्रत्येक तरह के प्रदूषण से बचाना आवश्यक है क्योंकि तरह तरह का कूड़ा भूमि में डाला जा रहा है । प्रदेश में काफी मात्रा में वायो मैडिकल कचरा अस्पतालों, प्रयोगशालाओं द्वारा निकाला जाता है जिसमें से केवल कुछ ही प्रतिशत, वैज्ञानिक तौर पर नष्ट कर दिया जाता है जबकि अधिकतर को भूमि में दबा दिया जाता है इसलिए आवश्यक है कि स्वास्थ्य सुरक्षा से जुड़े विभाग वायो मैडिकल कचरे कोे निबटाने के सभी पहलूओं पर गहराई से विचार करें।
उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा प्रदेश में किसी एक स्थान पर मैडिकल बायो कचरा निबटान के लिए माडल कचरा प्रबन्धन व्यवस्था स्थापित की जाएगी ताकि प्रदेश के दूसरे हिस्सों में भी इसी तरह की व्यवस्था कायम की जा सके ।
निदेशक, पर्यावरण विज्ञान और प्रौधौगिकी विभाग एस.एस. नेगी ने कहा कि बायो मैडिकल कचरे के निबटान का पहाड़ी राज्यों में प्रभावी प्रबन्धन करना आवश्यक है । कार्यशाला में बायो मैडिकल कचरा प्रबन्धन पर नई तकनीको के बारे में भी जानकारी दी । दिल्ली से आए डा. विनोद बाबू ने हिमालयन राज्य और भारत में बायो मैडिकल कचरा प्रबन्धन के तौर तरीको के बारे में जानकारी दी ।
इस कार्यशाला में प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए मुख्य चिकित्सा अधिकारी, चिकित्सा अधिकारी निजी अस्पतालों के डाक्टर, मैडिकल प्रयोगशालाओं तथा अस्पताल प्रबन्धन से जुड़े लोगों ने भाग लिया ।