हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एचपीसीए) के सत्यापन पर एक बार फिर से बीस सूत्री कार्यक्रम कार्यान्वयन के राज्य अध्यक्ष ठाकुर राम लाल ने सवाल खड़े करते हुए आरोप लगाया है कि एचपीसीए नाम की प्रदेश में कोई चीज नहीं है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ठाकुर राम लाल ने हमीरपुर में पत्रकारों को संबोधित करते हुए दावा किया की एचपीसीए के नाम पर हुए तमाम जालसाजी के तमाम दस्तावेज उनके पास मौजूद हैंl उन्होंने कहा की वह सभी दस्तावेज को जल्द ही सार्वजनिक करेंगे।
ठाकुर राम लाल ने दावा किया कि एचपीसीए 8 जून,1990 को रजिस्ट्रार धर्मशाला के माध्यम से रजिस्टर्ड करवाई गई है। उन्होंने कहा कि पंजीकृत संबंधित दस्तावेजों के अनुसार एचपीसीए एक सोसायटी है, लेकिन इस गोलमाल में ही 14 जुलाई, 2005 को अनुराग ठाकुर द्वारा एचपीसीए नाम की एक कंपनी कानपुर में हिमालयन प्लेयर्ज क्रिकेट एसोसिएशन के नाम से रजिस्टर्ड करवाई। इसी हिमालयन प्लेयर्ज क्रिकेट एसोशिसन को कंपनी 31अगस्त, 2005 को अनुराग ठाकुर ने रजिस्ट्रार आफ कंपनीज कानपुर से बदलकर एचपीसीए कर दिया। इतना ही नहीं इसके बाद इस कंपनी की रजिस्ट्रेशन तबदील कर चंडीगढ़ में नई रजिस्ट्रेशन करवाई गई। कांग्रेस नेता ने आगे कहा कि 6 जून, 2010 को एचपीसीए के जरनल हाउस धर्मशाला से रजिस्ट्रार आफ सोसायटी शिमला को रजिस्टे्रशन के लिए आवेदन किया गया, जिसमें यह दर्शाया गया कि एचपीसीए एक सोसायटी की तरह काम कर रही है। फिर 22 सितंबर, 2012 को एचपीसीए के द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया कि एचपीसीए सोसायटी से कंपनी में बदल गई है।
ठाकुर राम लाल ने कहा कि इस तरह दोहरी रजिस्टे्रशन इस मामले में चलती रही। ठाकुर रामलाल ने आरोप लगाया कि सोसायटी एक्ट के तहत कोई भी सरकारी मुलाजिम किसी निजी कंपनी में डायरेक्टर नहीं हो सकता है, लेकिन एचपीसीए में दो सरकारी मुलाजिम भी डायरेक्टर रखे गए हैं।
बिलासपुर जिला के कांग्रेस नेता ठाकुर रामलाल ने इन आरोपों के साथ ही अनुराग ठाकुर द्वारा संचालित एचपीसीए को कटघरे में खड़ा क्र दिया है और हिमाचल प्रदेश सरकार से इस गंभीर मामले की उच्च स्तरीय जांच व मामला दर्ज करने की भी मांग की।