धर्मशाला: तपोवन सिथत विधानसभा परिसर में आयोजित किए जा रहे नवें शीतकालीन विधानसभा सत्र के पहले दिन विपक्ष द्वारा सदन की कार्यवाही में बाधा पहुंचाने पर मुख्य मंत्री वीरभद्र सिंह ने विपक्ष के आचरण एवं व्यवहार को अलोकतांत्रिक और अमर्यादित बताते हुए कहा कि यह लोकतांत्रिक परम्पराओं और मूल्यों के विरूद्ध है। उन्होंने कहा कि विपक्ष के इस तानाशाही पूर्ण रवैये की लोकतंत्र में कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा कि वह विपक्ष का सम्मान करते हैं, परंतु उन्होंने जो किया, वह संसदीय लोकतंत्र का हिस्सा नहीं है।
उन्होंने कहा कि प्रेम कुमार धूमल दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने और उन्होंने दोनों ही बार उनके विरूद्ध झूठे मामले बनाए। उनके विरूद्ध सीबीआई जांच भी बिठाई गई, परंतु हर बार वह पाक-साफ होकर बरी हुए।धूमल की यही पीड़ा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें किसी बात का डर नहीं है । विपक्ष के पास करने के लिए कुछ भी नया नहीं है और वह मृतप्राय: पड़ी थी परंतु कुछेक राज्यों में हुए चुनावों की जीत से उन्हें हिमाचल में उछल-कूद करने का मौका मिला है। उनके पास फिलहाल कोई मुददा नहीं है, इसलिए वह सदन में शोर-शराबा कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनका कोई व्यकितगत एजेंडा नहीं है, न ही उनकी किसी से कोई दुश्मनी है। वीरभद्र सिंह एन ज़ोर देते हुए कहा कि, केंद्रीय मंत्री रहने के दौरान, राज्य कांग्रेस ने तत्कालीन भाजपा सरकार के विरूद्ध जो आरोप-पत्र बनाया था, उसमें उनकी कोई भागीदारी नहीं थी।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि वह किसी भी व्यकित के प्रति दुराभाव नहीं रखते और झूठे साक्ष्यों के आधार पर कोई मुकदमा नहीं बनाया जा सकता परंतु भाजपा को अपनी करनी का पता है। जैसे-जैसे मामले की जांच आगे बढ़ रही है, वह इस जांच को रोकने तथा लोगों का ध्यान भटकाने के लिए इस तरीके का अनैतिक रवैया अपना रही है। परंतु वह इस मामले को तार्किक निष्कर्ष पर पहुंचा कर ही दम लेंगे।
मुख्यमंत्री ने एक प्रश्न पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो भी दोषी होगा, उसके विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि प्रशांत भूषण के चाय बगीचे मामले में अभी जांच चल रही है और वह फिलहाल इस पर अपनी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं करना चाहते हैं। परंतु प्रथम दृष्टया वह इस मामले में दोषी नज़र आते हैं।
वीरभद्र सिंह ने भाजपा को फासिस्ट पार्टी बताते हुए कहा कि भारतीय प्रजातांत्रिक इतिहास में ऐसी कोई मिसाल नहीं है, परंतु अगर कभी भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला तो यह पूरी तरह तानाशाह बनकर देश की एकता एवं अखंडता को खतरे में डाल सकती है।